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बांझपन का बांझपन का लेप्रोस्कोपिक तकनीक से बिना चीर-फाड़ से इलाज
General / Feb 1st, 2019 6:24 am     A+ | a-
बांझपन का बांझपन का लेप्रोस्कोपिक तकनीक से बिना चीर-फाड़ से इलाज

बांझपन का बांझपन का लेप्रोस्कोपिक तकनीक से बिना चीर-फाड़ से इलाज | महिलाओं में बांझपन के लक्षण इस वीडियो मे बांझपन का लेप्रोस्कोपी से इलाज एवं लॅपयरॉसकपिक सर्जरी के बारे मे सारी जानकारी दी गयी है |

महिलाओं में बांझपन के  लक्षण मासिकधर्म प्रारंभ होने के साथ ही दिखने लगते हैं. इन में से कईर् लक्षण ऐसे होते हैं, जिन्हें तुरंत पहचान कर उन का उपचार करा लिया जाए तो बहुत संभव है कि भविष्य में होने वाली बांझपन की आशंका से बचा जाए.

अनियमित मासिकधर्म

महिलाओं में मासिकधर्म की अनियमितता बांझपन का सब से प्रमुख कारण है. कईर् महिलाओं में संतुलित व पोषक भोजन के सेवन और नियमित ऐक्सरसाइज के द्वारा यह समस्या दूर हो जाती है, लेकिन कई महिलाओं को उपचार की आवश्यकता पड़ती है. मासिकचक्र से संबंधित निम्न अनियमितताएं हो सकती हैं:

– 21 दिन से कम समय के अंतराल में पीरियड्स आना.

– पीरियड्स के दौरान 2 दिन से भी कम समय तक ब्लीडिंग होना.

– 2 पीरियड्स के बीच में ब्लीडिंग होना जिसे इंटरमैंस्ट्रुअल ब्लीडिंग कहते हैं. इसे स्पौटिंग भी कहते हैं.

– 3 मासिकचक्र में पीरियड्स न आना.

– पीरियड्स 35 दिन के अंतराल से अधिक समय में आना.

– मासिकचक्र के दौरान अत्यधिक ब्लीडिंग होना.

मासिकधर्म न आना

कई महिलाओं में कभीकभी मासिकधर्म आता ही नहीं. इस का कारण अंडाशय या गर्भाशय की अनुपस्थिति होती है. यह समस्या जन्मजात हाती है, लेकिन इस के बारे में पता यौवनावस्था प्रारंभ होने पर लगता है. ऐसी महिलाएं कभी मां नहीं बन पाती हैं.


हारमोन असंतुलन

कभीकभी महिलाओं में बांझपन हारमोन समस्याओं से भी संबंधित होता है. इस मामले में निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं:

– त्वचा में परिवर्तन आ जाना, जिस में अत्यधिक मुंहासे होना सम्मिलित है.

– सैक्स करने की इच्छा में परिवर्तन आ जाना.

– होंठों, छाती और ठुड्डी पर बालों का विकास.

– बालों का झड़ना या पतला होना.

– वजन बढ़ना.

– निप्पल से दूध जैसा सफेद डिस्चार्ज निकलना, जो स्तनपान से संबंधित नहीं होता है.

– सैक्स के दौरान दर्द होना.

– असामान्य मासिकचक्र.

बांझपन (प्रजनन क्षमता की कमी) का मुख्य कारण तनाव होता है। महिलाओं के शरीर में हॉर्मोन्स के असंतुलित होने के कारण महिलाएँ गर्भधारण नहीं कर पाती हैं । आजकल महिलाओं में पीसीओएस की बीमारी होने के कारण बांझपन की समस्या बढ़ गई है । इस बीमारी में फलोपियन ट्यूब में सिस्ट बन जाते हैं और इसी वजह से महिलाएँ गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। महिलाओं की उम्र बढ़ने पर उनके हॉर्मोन्स कम होने लगते है, उनकी ओवरी सही से काम नहीं करती है। एसे कारणों की वजह से कोई सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन हो सकती है ।

गर्भाशय की असामन्य संरचना के कारण बांझपन हो सकता है। फलोपियन ट्यूब अंडे को अंडाशय से गर्भाशय तक पहुंचाने का काम करती है ताकि भ्रूण का विकास हो सके। लेकिन किसी सर्जरी या पेल्विक संक्रमण होने से फलोपियन ट्यूब को नुकसान पहुँचता है। इस वजह से महिला बांझपन की स्थिति में आ जाती है ।

बांझपन (प्रजनन क्षमता की कमी) के निम्नलिखित लक्षण है।
बालो का झड़ना।
लंबे समय से गर्भधारण न कर पाना। चेहरे पर बिना कारण बाल आना।
मासिकधर्म अनियमित होना।
21 दिनों से पहले मासिकधर्म हो जाना।
मासिकधर्म की अवधि 32 दिन से अधिक होना।
यह सब लक्षण बांझपन होने का संकेत करते है, जिसके लिए सही समय पर उपचार की जरूरत होती है।
बांझपन के लक्षणों में सबसे मुख्य लक्षण है प्रयास करने के बावजूद भी गर्भधारण ना होना ।

पुरुषों में बांझपन होने के लक्षण
यौन इच्छा में बदलाव महसूस करना।
अंडकोष के अंदर दर्द, गांठ या सूजन महसूस होना ।
वीर्य गिरने में समस्या होना ( इरेक्टाइल डिस्फंक्शन )
महिलाओं के अंदर बांझपन होने के लक्षण
बालों की समस्या, जैसे – बालों का पतला होना या झड़ना ।
वजन का अचानक बढ़ना ।
चेहरे पर मुहांसे या त्वचा संबंधी समस्याएँ होना ।
पीरियड्स की वजह से पीठ या पेट में दर्द रहना ।
महिला या पुरुष के लिए बताए गया कोई कारण या लक्षण अगर महसूस होता है तो फौरन डॉक्टरी परामर्श लें ।

जब जीवन पर हावी होने लगे बांझपन
जैसा कि बताया गया है कि बांझपन आपको मानसिक और शारीरिक रूप से प्राभावित करता है। बांझपन होना एक मुश्किल प्रक्रिया है । हालाँकि, अगर आप यह देख रहे हैं कि बांझपन आपके जीवन पर हावी हो रहा है, तो आप परामर्श पर विचार कर सकते हैं । अगर आपकी दुख, डिप्रैशन या चिंता लंबे समय तक रहती है तो वह आपके दैनिक जीवन को कईं तरीकों से प्रभावित कर सकती है

बांझपन की जांच कैसे करें ?
उन्होंने कहा कि अल्ट्रासाउंड से महिलाओं में बांझपन की विभिन्न वजहों जैसे फेलोपियन ट्यूब में रुकावट, अंडे का न बनना, छोटी या बड़ी बच्चेदानी का पता लगाया जा सकता है। इसी तरह टेस्टिस का छोटा या बड़ा होना तथा शुक्राणुओं के कम बनने के बारे में पता लगाया जा सकता है । बांझपन दूर करने के अपने जीवनशैली में बदलाव करना बेहद जरुरी होता है। इसके अलावा चिकिस्तक कुछ अन्य सुझाव देते है –

रोजाना योग और व्यायाम करें । योग में बालासन, अर्धचक्रासन आदि शामिल करें, जो आपका बांझपन से बचाव कर सकता है।
हरी सब्जियों, ब्रोकली, बादाम, खजूर और अंजीर का सेवन करें ।
प्रतिदिन किशमिश अवश्य खाएँ । इसके अलावा आहार में दालचीनी, इलायची, लहसुन व डेरी युक्त पदार्थ शामिल करें ।
अनार का सेवन ज्यादा करें या अनार का रस पीएँ, यह बांझपन की समस्या को दूर करता है।
विटामिन डी के लिए अंडे और केले का सेवन करें ।
अश्वगंधा का उपयोग करें क्योंकि यह हॉर्मोन्स का संतुलन बनाए रखता है। इसके अलावा प्रजनन अंगों को कार्य करने के लिए बढ़ावा देता है।
शराब व धूम्रपान की आदत न लगाएं । यह बांझपन की समस्या को बढ़ाता है।             
 
 infertility बांझपन की समस्या
 बांझपन
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