गल्लब्लैडर स्टोन का लेप्रोस्कोपिक तकनीक से बिना चीर-फाड़ से इलाज | |
गल्लब्लैडर स्टोन का लेप्रोस्कोपिक तकनीक से बिना चीर-फाड़ से इलाज | |
गल्लब्लैडर स्टोन का लेप्रोस्कोपिक तकनीक से बिना चीर-फाड़ से इलाज | | पित्ताशय में पथरी के कारण (Causes of gall bladder stone) पित्ताशय में पथरी का अभी तक कोई कारण सिद्ध नहीं हुआ है और यह किसी भी उम्र में हो सकता हैं। कुछ फ़ैक्टर हैं जो गॉलस्टोन्स (gallstones) की संभावना को बढ़ा सकता है जैसे की –
मधुमेह या डायबिटीज (Diabetes)
मोटापा (Obesity)
गर्भधारण (Pregnancy)
मोटापे की सर्जरी के बाद (post bariatric surgery)
कुछ दवाओं का सेवन
कुछ लम्बी अवधि की बीमारीयों के बाद
“गॉलस्टोन्स की सम्भावना मोटापे और डायबिटीज से बढ़ती है” डॉ अमरचंद सूचित करते हैं।
“ज़्यादातर पित्त की थैली में पथरी औरतों में पाई जाती है”
“ऐसा होने का कारण अभी तक वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हुआ हैं।”
गॉलस्टोन्स के लक्षण (Signs and symptoms of gallstones)
कई बार पित्त की थैली में पथरी बिना किसी लक्षण के होती है और कई बार कुछ लक्षणों को दर्शाते हुए भी होती है।
पित्त की थैली में पथरी के दिखाई देनें वाले कुछ खास लक्षण हैं (signs and symptoms of gallstones):
पेट के उपरी भाग और दाहिने तरफ़ में दर्द
बदहजमी
खट्टापन
पेट फुलाना
अगर पित्त की थैली में पथरी होने की वजह से आपको पेट दर्द हो रहा है तो इसका ईलाज करना ज़रूरी है।नहीं तो यह पथरी आगे जाके दिक़्क़त का कारण बन सकती हैं।”
अगर गॉल्स्टोन 3 cm से बड़ा है या फिर अगर गॉलब्लेडर पोलिप (gallbladder polyp) के साथ है जो 1 cm या उससे बड़ा है, तो गॉलब्लेडर कैंसर (gallbladder cancer) की संभावना भी बढ़ जाती हैं। लैप्रोस्कोपी अर्थात दूरबीन विधि से ऑपरेशन करने को लेकर लोगों में भ्रांतियां हैं जबकि चीरा विधि की अपेक्षा दूरबीन विधि में मरीज को ज्यादा लंबे समय तक हॉस्पिटल में भर्ती नहीं रहना पड़ता। इसके साथ ही पेट पर एक या चार छेद कर हार्निया, एपेंडिक्स, ट्यूमर व पथरी का सफल ऑपरेशन किया जा सकता है। इसमें समय कम लगता है और खून की भी जरूरत न के बराबर होती है। दूरबीन विधि का एक अन्य लाभ यह है कि इसमें पेट में चीरा व टांके नहीं लगते और सिर्फ एक छेद नाभि में होने से पेट कटने के कोई निशान भी नहीं आते।
गल्लब्लैडर स्टोन का लेप्रोस्कोपिक तकनीक से बिना चीर-फाड़ से इलाज | | पित्ताशय में पथरी के कारण (Causes of gall bladder stone) पित्ताशय में पथरी का अभी तक कोई कारण सिद्ध नहीं हुआ है और यह किसी भी उम्र में हो सकता हैं। कुछ फ़ैक्टर हैं जो गॉलस्टोन्स (gallstones) की संभावना को बढ़ा सकता है जैसे की –
मधुमेह या डायबिटीज (Diabetes)
मोटापा (Obesity)
गर्भधारण (Pregnancy)
मोटापे की सर्जरी के बाद (post bariatric surgery)
कुछ दवाओं का सेवन
कुछ लम्बी अवधि की बीमारीयों के बाद
“गॉलस्टोन्स की सम्भावना मोटापे और डायबिटीज से बढ़ती है” डॉ अमरचंद सूचित करते हैं।
“ज़्यादातर पित्त की थैली में पथरी औरतों में पाई जाती है”
“ऐसा होने का कारण अभी तक वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हुआ हैं।”
गॉलस्टोन्स के लक्षण (Signs and symptoms of gallstones)
कई बार पित्त की थैली में पथरी बिना किसी लक्षण के होती है और कई बार कुछ लक्षणों को दर्शाते हुए भी होती है।
पित्त की थैली में पथरी के दिखाई देनें वाले कुछ खास लक्षण हैं (signs and symptoms of gallstones):
पेट के उपरी भाग और दाहिने तरफ़ में दर्द
बदहजमी
खट्टापन
पेट फुलाना
अगर पित्त की थैली में पथरी होने की वजह से आपको पेट दर्द हो रहा है तो इसका ईलाज करना ज़रूरी है।नहीं तो यह पथरी आगे जाके दिक़्क़त का कारण बन सकती हैं।”
अगर गॉल्स्टोन 3 cm से बड़ा है या फिर अगर गॉलब्लेडर पोलिप (gallbladder polyp) के साथ है जो 1 cm या उससे बड़ा है, तो गॉलब्लेडर कैंसर (gallbladder cancer) की संभावना भी बढ़ जाती हैं। लैप्रोस्कोपी अर्थात दूरबीन विधि से ऑपरेशन करने को लेकर लोगों में भ्रांतियां हैं जबकि चीरा विधि की अपेक्षा दूरबीन विधि में मरीज को ज्यादा लंबे समय तक हॉस्पिटल में भर्ती नहीं रहना पड़ता। इसके साथ ही पेट पर एक या चार छेद कर हार्निया, एपेंडिक्स, ट्यूमर व पथरी का सफल ऑपरेशन किया जा सकता है। इसमें समय कम लगता है और खून की भी जरूरत न के बराबर होती है। दूरबीन विधि का एक अन्य लाभ यह है कि इसमें पेट में चीरा व टांके नहीं लगते और सिर्फ एक छेद नाभि में होने से पेट कटने के कोई निशान भी नहीं आते।
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