दूरबीन से ऑपरेशन, पित्त की थैली पथरी के दुष्परिणाम और इलाज का वीडियो देखेंl
पित्त की थैली में पथरी व सूजन की बीमारी के रोगी आए दिन बढ़ रहे हैं। खासकर महिलाओं में इस तरह की बीमारी ज्यादा देखी जा रही है। यह बीमारी महिलाओं को उम्र के ऐसे पड़ाव में होती है जब महिला 40 साल पार कर चुकी होती है। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि इस के होने का कारण अन्य भी हो सकता है, जैसे वसा युक्त पदार्थों का अधिक सेवन, मोटापा आदि। हालांकि पुरुषों में भी इस तरह की बीमारी काफी होती है, लेकिन महिलाओं से अपेक्षाकृत कम होती है।
डॉ। आर.के. मिश्रा का कहना है कि पित की थैली की पथरी को निकालने के लिए सर्जरी ही एकमात्र इलाज होता है। लैप्रोस्कोपी अर्थात दूरबीन विधि से ऑपरेशन करने को लेकर लोगों में भ्रांतियां हैं जबकि चीरा विधि की अपेक्षा दूरबीन विधि में रोगी को ज्यादा लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती नहीं रहना पड़ता है। इसके साथ ही पेट पर एक या चार छेद कर हार्निया, एपेंडिक्स, ट्यूमर व पथरी का सफल ऑपरेशन किया जा सकता है। इसमें समय कम लगता है और खून की भी जरूरत न के बराबर होती है। दूरबीन विधि का एक अन्य लाभ यह है कि इसमें पेट में चीरा व टांके नहीं लगते और सिर्फ एक छेद नाभि में होने से पेट कटने के कोई निशान भी नहीं आते हैं।
पित्ताशय की पथरी बनने के कारणों का अभी तक पता नहीं चला है, लेकिन माना जाता है कि यह मोटापे, डायबिटीज, आनुवांशिक और रक्त संबंधी बीमारियों की वजह से हो सकता है। आमतौर पर 85 प्रतिशत लोगों के पित्ताशय में यह पथरी 'चुपचाप' पड़ी रहती है। इनसे कोई कष्ट नहीं होता। जिन लोगों को पेट के 1 ऊपरी हिस्से में दर्द होता है उनमें पथरी की समस्या हो सकती है।
मनुष्य शरीर में कई प्रकार की पथरियों की समस्या हो सकती है, जिसमें किडनी की पथरियाँ और पित्त की थैली की पथरी प्रमुख है। गाल स्टोन्स एक बहुत ही आम समस्या है। देश के पूर्वी और उत्तरी राज्यों में मरीजों की संख्या अधिक है। इस तरह की पथरी महिलाओं में और अधिक जाती है।
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