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शल्यचिकित्सा क्षेत्र में छोटा कद: लैपरोस्कोपिक विधियों का उदय
Sat - December 9, 2023 10:26 am  |  Article Hits:93  |  A+ | a-
शल्यचिकित्सा क्षेत्र में छोटा कद: लैपरोस्कोपिक विधियों का उदय
शल्यचिकित्सा क्षेत्र में छोटा कद: लैपरोस्कोपिक विधियों का उदय

शल्यचिकित्सा क्षेत्र में छोटा कद: लैपरोस्कोपिक विधियों का उदय

परिचय​:

शल्यचिकित्सा, जिसे आमतौर से छल्ले और बड़े कद की कला माना जाता है, आजकल एक नए युग में कद को छोटा करने का सामर्थ्य प्राप्त कर रहा है। लैपरोस्कोपिक शल्यचिकित्सा, जिसे हम यहां "लैपरोस्कोपिक विधियाँ" कहेंगे, इस क्रियाशील बदलाव का प्रतीक है। इस नए और प्रगतिशील तकनीक के साथ, चिकित्सक और रोगी दोनों को अनुकूलित होने का अद्वितीय अनुभव हो रहा है।

शल्यचिकित्सा क्षेत्र में छोटा कद: लैपरोस्कोपिक विधियों का उदय

लैपरोस्कोपी क्या है?

लैपरोस्कोपी एक शल्यक्रिया है जिसमें चिकित्सक शल्यक्रिया करने के लिए एक छोटे और सुजुक इंसाइजन का उपयोग करते हैं और उसमें एक लैपरोस्कोप नामक इंस्ट्रूमेंट को दाखिल करते हैं। यह इंस्ट्रूमेंट एक छोटी सी कैमरा के साथ होता है, जिससे चिकित्सक शल्यक्रिया की प्रक्रिया को एक स्क्रीन पर देख सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप, चिकित्सक बहुत छोटे इंसाइजन के माध्यम से रोगी के शरीर को एक्सेस करके शल्य क्रिया कर सकते हैं।

लैपरोस्कोपिक विधियों के उदय का कारण:

कम चोटी (Low Impact):

लैपरोस्कोपिक विधियों में उपयोग होने वाले छोटे इंसाइजन से रोगी के शरीर पर कम असर पड़ता है। यह रोगी को तेजी से ठीक होने की संभावना दरकिनार करता है और शल्य क्रिया के बाद की आरामदायक रिकवरी को सुनिश्चित करता है।

सुविधाजनक:

इस तकनीक में चिकित्सक को रोगी के शरीर की अंदरूनी स्थितियों को सीधे देखने का अवसर मिलता है, जिससे सही निदान और उपचार की संभावना बढ़ती है।

कम रक्तस्राव:

छोटे इंसाइजन के कारण, लैपरोस्कोपी से होने वाला रक्तस्राव कम होता है, जिससे ऑपरेशन के दौरान और उसके बाद की अधिकतम संभावना होती है।

तेजी से रिकवरी:

इस तकनीक के उपयोग से रोगी की शीघ्र रिकवरी हो सकती है, जिससे उन्हें अपनी नॉर्मल जीवनशैली में जल्दी से वापस लौटने में मदद होती है।

लैपरोस्कोपी के अनुप्रयोग:

गैल ब्लैडर सर्जरी:

लैपरोस्कोपी का उपयोग गैल ब्लैडर की समस्याओं के इलाज में किया जा सकता है, जिससे छोटे इंसाइजन के कारण रोगी को तेजी से ठीकी मिलती है।

हार्निया ऑपरेशन:

लैपरोस्कोपी का उपयोग हार्निया के इलाज के लिए भी किया जा सकता है, जो रोगी को आसानी से और तेजी से ठीक कर सकता है।

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी:

आंत्रज रोगों के इलाज में भी लैपरोस्कोपी बड़ी सफलता के साथ प्रयुक्त हो रहा है।

गिनी ओब्स्ट्रक्शन सर्जरी:

लैपरोस्कोपी का उपयोग गिनी ओब्स्ट्रक्शन के उपचार के लिए भी किया जा सकता है, जिससे रोगी को अधिक से अधिक आरामदायक अनुकूलन होता है।

निष्कर्ष:

लैपरोस्कोपिक विधियों का उदय शल्यचिकित्सा क्षेत्र में एक नए दौर की शुरुआत को सूचित करता है, जहां छोटे इंसाइजन और तकनीकी उन्नति का इस्तेमाल हो रहा है। यह रोगी को आसानी से और तेजी से ठीक होने का अवसर देता है और चिकित्सकों को एक नए और सुविधाजनक तरीके से शल्य क्रिया करने का मौका देता है। इस नए परिवर्तन के साथ, शल्यचिकित्सा एक नई ऊचाई की ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रही है और रोगी को सशक्त करने का एक नया माध्यम प्रदान कर रही है।

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