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पारंपरिक से तकनीकी तक: लेप्रोस्कोपिक सर्जरी क्रांति
Sat - December 2, 2023 11:51 am  |  Article Hits:91  |  A+ | a-
पारंपरिक से तकनीकी तक: लेप्रोस्कोपिक सर्जरी क्रांति
पारंपरिक से तकनीकी तक: लेप्रोस्कोपिक सर्जरी क्रांति

पारंपरिक से तकनीकी तक: लेप्रोस्कोपिक सर्जरी क्रांति

परिचय:

मानव इतिहास में चिकित्सा विज्ञान का योगदान निरंतर रहा है, और समय के साथ साथ नई तकनीकों का आविष्कार हो रहा है जो इस क्षेत्र को नए आयामों तक पहुंचा रहा है। इसमें एक ऐसा नया दिशा जिसने चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति ला दी है है लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, जो पारंपरिक शल्यचिकित्सा की तकनीकों को एक नए स्तर पर ले जा रहा है। इस लेख में हम इस नई और उत्कृष्ट तकनीक की विशेषताओं पर चर्चा करेंगे और यह समझेंगे कि कैसे लेप्रोस्कोपिक सर्जरी ने चिकित्सा विज्ञान में एक महत्वपूर्ण क्रांति की शुरुआत की है।

पारंपरिक से तकनीकी तक: लेप्रोस्कोपिक सर्जरी क्रांति

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी क्या है?

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, जिसे 'कुंजीरचन' भी कहा जाता है, एक तकनीक है जिसमें चिकित्सक शल्य चिकित्सा कार्यों को देखने और करने के लिए एक लेप्रोस्कोप का उपयोग करते हैं। यह एक प्रकार का आंतरीय दर्शन है जो तंतुरूप से निकलकर चिकित्सक को रोगी के शरीर के अंदर की स्थिति को सीधे देखने की अनुमति देता है। यह सर्जरी कई क्षेत्रों में कारगर है, जैसे कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी, हृदय सर्जरी, गला नाक कान सर्जरी, और गाइनी सर्जरी।

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का इतिहास:

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का आरंभ यूरोप में 20वीं सदी के आसपास हुआ था, लेकिन यह सामान्यत: 1980 के दशक में चमक रहा था। पहले इसे सिर्जरी की एक नई तकनीक के रूप में स्वीकार किया गया, लेकिन जल्दी ही इसने अपनी प्रभावकारीता से चर्चा करने का कारण बना लिया।

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के फायदे:

कम चोटें और रक्तस्राव:

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में शल्यचिकित्सक छोटे शल्यक्रियाओं को संपन्न करते हैं जिससे चोटें कम होती हैं और रक्तस्राव में भी कमी होती है। इससे रोगी का शीघ्र उपचार होता है और उनकी शीघ्रता में सुधार होती है।

दर्द की कमी:

पारंपरिक शल्यचिकित्सा के तुलना में, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में चिकित्साओं के दौरान दर्द कम होता है। छोटे शल्यक्रियाओं और कम चोटों के कारण रोगी जल्दी ठीक होता है और उन्हें कम समय तक चिकित्सा सुविधा की आवश्यकता होती है।

तेजी से उपचार:

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में उपचार की तेजी होती है क्योंकि शल्यचिकित्सक चिकित्सा क्रियाएं सीधे रूप से मॉनिटर पर देख सकते हैं और त्वरित निर्णय ले सकते हैं।

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के प्रकार:

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी:

यह सर्जरी पेट और आंत में होने वाली समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। इसमें पेट के अंदर लेप्रोस्कोप का उपयोग करके शल्यचिकित्सा की जाती है और रोगी को तेजी से ठीक करने का प्रयास किया जाता है।

हृदय सर्जरी:

लेप्रोस्कोपिक हृदय सर्जरी में हृदय के चिकित्सात्मक संबंधित रोगों का इलाज किया जाता है। इसमें छोटे शल्यक्रियाओं के माध्यम से हृदय संबंधित समस्याओं का समाधान किया जाता है।

गाइनी सर्जरी:

यह सर्जरी महिलाओं के गर्भाशय और संबंधित अंगों के इलाज के लिए की जाती है। लेप्रोस्कोपिक गाइनी सर्जरी में छोटे शल्यक्रियाओं के माध्यम से रोगों का उपचार किया जाता है जो गर्भाशय और उसके आसपासी क्षेत्रों में हो सकते हैं।

समाप्ति:

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी एक नई और सुधारित तकनीक है जो चिकित्सा क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत कर रही है। इसके फायदों में छोटी चोटी शल्यक्रियाएं, कम दर्द, और तेजी से उपचार शामिल हैं जो रोगियों को अधिक सुविधा और शीघ्र राहत प्रदान करती हैं। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी ने पारंपरिक शल्यचिकित्सा को एक नए दिशा में मोड़ दिया है और यह भविष्य में और भी उत्कृष्ट होने की संभावना है।

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