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सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद ग्रीवा स्टंप के बारे में मिथक
Tue - January 3, 2017 5:03 am  |  Article Hits:2960  |  A+ | a-
सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद ग्रीवा स्टंप के बारे में मिथक
सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद ग्रीवा स्टंप के बारे में मिथक
सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी एक गर्भाशय हटाने की प्रक्रिया है जिसमें गर्भाशय को हटाने के बावजूद ग्रीवा (सर्वाइकल) स्टंप बचा रहता है। इस स्टंप के सम्बंध में कई मिथक और भ्रांतियाँ हैं जो समान्य जनसमुदाय में प्रचलित हैं। पहला मिथक है कि ग्रीवा स्टंप कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है। यह गलत है। सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद भी पूरी सर्वाइकल टिस्यू हटा नहीं जाती है और पाठक को नियमित सर्वाइकल स्क्रीनिंग जैसे पैप स्मीयर करानी चाहिए। दूसरा मिथक है कि ग्रीवा स्टंप संक्रमण का कारण बन सकता है। यह भी गलत है। ग्रीवा स्टंप एक सामान्य रूप से निष्क्रिय अंग होता है और संक्रमण का कोई सीधा जोखिम नहीं होता है। तीसरा मिथक है कि ग्रीवा स्टंप के कारण पीरियड की समस्याएं हो सकती हैं। यह भी गलत है।

ग्रीवा स्टंप पीरियड और मासिक धर्म के सामान्य फंक्शन को प्रभावित नहीं करता है। सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद, ग्रीवा स्टंप के प्रसारण के साथ कुछ महिलाओं को पीरियड्स के लिए थोड़ी सी असुविधा हो सकती है, लेकिन यह सामान्य नहीं है और आमतौर पर स्वयं ही ठीक हो जाती है। अतः यदि कोई महिला सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी करवाने की योजना बना रही है, तो उसे स्टंप के बारे में सही जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद स्टंप का महत्वपूर्ण उद्देश्य गर्भाशय की जरूरत को काटते हुए भी प्रकृतिक गर्भाशय का एक हिस्सा बनाए रखना है।

स्टंप की उपस्थिति खुद में आपातकालीन चिकित्सा की आवश्यकता नहीं है, लेकिन नियमित प्रतिरोधी जांच और अपने डॉक्टर के साथ सम्पर्क में रहना महत्वपूर्ण है। सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद ग्रीवा स्टंप का अलग उपचार या निकट निगरानी की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन महिलाओं को स्वस्थ रहने के लिए नियमित जांच और स्क्रीनिंग करवानी चाहिए।

परंतु, यदि किसी महिला को सर्वाइकल स्टंप के संबंध में संदेह है या अत्यंत चिंता होती है, तो उसे अपने चिकित्सक से परामर्श लेना उचित होगा। चिकित्सक उसके संदेहों को दूर करने और संदेहों के माध्यम से उत्पन्न चिंताओं को समझाने में मदद करेंगे। महिलाओं को अपने शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें स्वयं को शिक्षित करना चाहिए ताकि वे विश्वसनीय और वैध जानकारी पर आधारित निर्णय ले सकें। अंततः, सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद ग्रीवा स्टंप का अस्तित्व स्वाभाविक है और यह सामान्य रूप से किसी भी समस्या का कारण नहीं बनता है। 

सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद ग्रीवा स्टंप के संबंध में मिथकों का खंडन आवश्यक है। यह मिथक है कि ग्रीवा स्टंप कैंसर का खतरा बढ़ाता है। वास्तव में, सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद भी नियमित सर्वाइकल स्क्रीनिंग, जैसे पैप स्मीयर, की जरूरत होती है, लेकिन स्टंप के आपस में कोई सीधा जोखिम नहीं होता है। इसके अलावा, ग्रीवा स्टंप के कारण संक्रमण की समस्या उत्पन्न नहीं होती है। वह सामान्य रूप से निष्क्रिय होता है और संक्रमण के जोखिम को बढ़ाता नहीं है। इसके अतिरिक्त, ग्रीवा स्टंप के कारण पीरियड की समस्याएं होने का मिथक भी है। यह स्टंप पीरियड या मासिक धर्म को प्रभावित नहीं करता है। यदि कोई महिला सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी करवाती है, तो स्वस्थ रहने के लिए नियमित जांच और स्क्रीनिंग के साथ चिकित्सक की सलाह पर आदान-प्रदान करना उचित होगा। इस तरीके से, ग्रीवा स्टंप का अस्तित्व महिलाओं के लिए चिंता का कार ग्रीवा स्टंप के बारे में भ्रांतियाँ उन महिलाओं के मन में संदेह और चिंता का कारण बना सकती हैं, लेकिन इन मिथकों का आधार वैज्ञानिक तथ्यों पर नहीं होता है।

ग्रीवा स्टंप के बारे में सही जानकारी प्राप्त करने के लिए उचित स्रोतों से संदर्भ लेना आवश्यक है। सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद ग्रीवा स्टंप अपना महत्वपूर्ण कार्य निभाता है, जो प्राकृतिक गर्भाशय का हिस्सा रहता है। इसके अलावा, ग्रीवा स्टंप का कोई नियंत्रण या उपचार आमतौर पर आवश्यक नहीं होता है। महिलाओं को स्वस्थ रहने के लिए नियमित चिकित्सा जांच और स्क्रीनिंग करवानी चाहिए, जिससे संभावित समस्याओं का समय पर पता चल सके और उचित उपचार किया जा सके। सभी संदेहों और चिंताओं के बावजूद, सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद ग्रीवा स्टंप स्वाभाविक रूप से अस्तित्व में रहता है और सामान्य रूप से किसी भी समस्या का कारण नहीं बनता है।

इसके अतिरिक्त, एक और मिथक है कि सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद ग्रीवा स्टंप के कारण सेक्सुअल सुख और संतुष्टि में कमी होती है। यह गलत है, क्योंकि स्टंप के प्रसारण से संबंधित योनि क्षेत्र और संबंधित संरचनाओं पर कोई असर नहीं पड़ता है। यदि कोई महिला इस संदेह के साथ जूझ रही है, तो वह खुद को समझाने और अपने संबंधीत चिकित्सक से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है।

सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद ग्रीवा स्टंप के बारे में मिथकों को खंडन करने का महत्वपूर्ण है। महिलाओं को सही जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और उचित जांच और स्क्रीनिंग के लिए नियमित रूप से चिकित्सक के पास जाना चाहिए। सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद ग्रीवा स्टंप सामान्य रूप से किसी भी समस्या का कारण नहीं बनता है और महिलाओं के शारीरिक और आवासीय स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करता है। इसलिए, सही जानकारी और विश्वासनीय स्रोतों से संदर्भ लेकर महिलाओं को अपने शारीरिक स्वास्थ्य पर विश्वास रखना चाहिए और मिथकों से दूर रहना चाहिए। सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद ग्रीवा स्टंप का अस्तित्व स्वाभाविक है और इसका कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होता है। यह कार्य गर्भाशय के शेष भाग को बनाए रखने में मदद करता है और महिला के गर्भाशय और संबंधित संरचनाओं का सम्पूर्ण निकास करने की आवश्यकता नहीं होती है।

महिलाओं को यह भी जानना चाहिए कि सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद भी वे अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकती हैं। नियमित चिकित्सा जांच और पाठ्यक्रमिक गाइनेकोलॉजी स्क्रीनिंग विशेषज्ञों के साथ संपर्क बनाए रखना महत्वपूर्ण है। यह उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना को पहले से ही पहचानने और उचित उपचार करने में मदद करेगा।

सार्वजनिक मतभेदों से बचने के लिए, महिलाओं को सटीक जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और अपने चिकित्सक के साथ खुले मन से वार्ता करनी चाहिए। इसके अलावा, संदर्भी महिलाओं को समर्थन और सहायता के लिए विशेष गर्भाशय चिकित्सा समुदाय से जुड़ने की सलाह दी जाती है। इससे उन्हें संदेहों और चिंताओं को साझा करने और सही जानकारी प्राप्त करने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही, स्वस्थ जीवनशैली, नियमित व्यायाम, सही आहार और स्वस्थ मानसिक स्थिति को बनाए रखने का महत्व बताया जाता है।

इस प्रकार, सुप्रकोर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद ग्रीवा स्टंप के संबंध में मिथकों का खंडन करना आवश्यक है। ग्रीवा स्टंप के कारण कैंसर, संक्रमण, पीरियड की समस्या आदि संबंधित समस्याएं नहीं होती हैं। महिलाओं को स्वस्थ रहने के लिए नियमित चिकित्सा जांच और स्क्रीनिंग के साथ चिकित्सक की सलाह पर आदान-प्रदान करना उचित होता है। सही जानकारी और समर्थन के साथ, महिलाएं इस विधि के बारे में निर्णय ले सकती हैं और अपने स्वास्थ्य को विश्वास और स्वतंत्रता के साथ संभाल सकती हैं।
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