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लेपरोस्कोपिक कुल पेल्विक एक्सेंटरेशन को ट्रांसएनल माइनिमल इनवेसिव सर्जरी तकनीक का उपयोग करके पूर्ण पेल्विक निकास किया जाता है।
Wed - July 27, 2016 6:44 am  |  Article Hits:2716  |  A+ | a-
लेपरोस्कोपिक कुल पेल्विक एक्सेंटरेशन को ट्रांसएनल माइनिमल इनवेसिव सर्जरी तकनीक का उपयोग करके पूर्ण प
लेपरोस्कोपिक कुल पेल्विक एक्सेंटरेशन को ट्रांसएनल माइनिमल इनवेसिव सर्जरी तकनीक का उपयोग करके पूर्ण प
लेपरोस्कोपिक कुल पेल्विक एक्सेंटरेशन, जिसे ट्रांसएनल माइनिमल इनवेसिव सर्जरी तकनीक के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रकार का चिकित्सा प्रक्रिया है जिसका उपयोग पूर्ण पेल्विक निकास के लिए किया जाता है। यह तकनीक लेपरोस्कोपी नामक एक प्रकार के चिकित्सा साधन का उपयोग करती है जिसमें एक छोटी सी कैमरा और सुपारीक्षणीय उपकरणों को शरीर के अंदर स्थापित किया जाता है।

लेपरोस्कोपिक कुल पेल्विक एक्सेंटरेशन का मुख्य उद्देश्य पेल्विक क्षेत्र के विभिन्न संबंधित संरचनाओं की सुधार करना है, जैसे कि गर्भाशय, बच्चेदानी, नदी-नली संरचनाएं, और उच्च उत्तेजना संक्रमण आदि। यह तकनीक चिकित्सा विज्ञान में प्रगति की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, क्योंकि इससे पेशाब करने में समस्या, गर्भाशय रक्तस्राव, बच्चेदानी के संक्रमण और अन्य संबंधित समस्याएं का समाधान किया जा सकता है।

लेपरोस्कोपिक कुल पेल्विक एक्सेंटरेशन की प्रक्रिया में, चिकित्सा सर्जन छोटे छेदों के माध्यम से निर्देशित करता है और चिकित्सा साधनों को पेल्विक क्षेत्र में स्थापित करता है। छोटे छेदों के माध्यम से पहुंच करते हुए, सर्जन गर्भाशय, बच्चेदानी, नदी-नली संरचनाओं को ध्यान से देखता है और उनमें संबंधित समस्याओं का समाधान करता है।

लेपरोस्कोपिक कुल पेल्विक एक्सेंटरेशन के फायदे में से एक है कि यह एक माइनिमल इनवेसिव प्रक्रिया है, जिससे रोगी को कम दर्द और शुष्क रक्तांतरण के साथ त्वरित रिकवरी की संभावना होती है। इसके साथ ही, यह परंपरागत खुले सर्जरी की तुलना में कम असंख्य रिस्क और संक्रमण के खतरे के साथ आती है। छोटे छेदों के कारण, शरीर की संरचनाओं पर कम ट्रमा होता है और रोगी को छोटी अवधि में अस्पताल से घर लौटने की अनुमति मिलती है।

लेपरोस्कोपिक कुल पेल्विक एक्सेंटरेशन का उपयोग विभिन्न पेल्विक समस्याओं के इलाज में किया जाता है, जैसे कि गर्भाशय के गर्भाशय बटन के अस्थायी या स्थायी निकास, बच्चेदानी के संक्रमण का इलाज, गर्भाशय रक्तस्राव का नियंत्रण, अत्यधिक गर्भाशय का निकास, नदी-नली संरचनाओं की सुधार, रूपांतरणित नदी-नली चिकित्सा, वृद्धि की योजना (planning for fertility), और पेल्विक न्यूरोपैथी (pelvic neuropathy) जैसी समस्याओं का समाधान।

यह तकनीक सामान्यतः स्थानीय या एकीकृत एनेस्थीजिया के साथ निष्पादित की जाती है और चिकित्सा सर्जरी के अनुभवी विशेषज्ञों द्वारा की जाती है। प्रक्रिया के दौरान, चिकित्सा सर्जन विशेष ट्रेनिंग प्राप्त करके चिकित्सा साधनों को योग्य ढंग से नियंत्रित करते हैं और चिकित्सा प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करते हैं।

लेपरोस्कोपिक कुल पेल्विक एक्सेंटरेशन एक उच्च प्रयोग दक्षता और निपुणता की आवश्यकता रखती है और इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सर्जनों द्वारा ही निष्पादित किया जाना चाहिए। रोगी को इस प्रक्रिया के लिए सही सलाह और जांच के लिए चिकित्सा सेंटर में संपर्क करना चाहिए ताकि उन्हें उच्चतम स्तर की देखभाल और उपचार प्राप्त हो सके। इस प्रक्रिया के पश्चात, रोगी को सुझाव दिया जाता है कि उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए, स्वस्थ खानपान पर ध्यान देना चाहिए, और चिकित्सा सर्जन द्वारा दिए गए दवाओं या आवश्यक सावधानियों का पालन करना चाहिए। सामान्यतः, पूर्ण पेल्विक निकास के बाद रोगी को समान्य गतिविधियों और दैनिक जीवन की गतिविधियों का आराम लेने की आवश्यकता होती है।

इसके अलावा, रोगी को स्वास्थ्य संबंधी संकेतों के संबंध में सतर्क रहना चाहिए और चिकित्सा सर्जन से निर्दिष्ट समय पर जांच और फॉलोअप अपॉइंटमेंट का पालन करना चाहिए। इस तरह की सर्जरी के बाद रोगी का आधारभूत स्वास्थ्य स्थिति और योग्यता मान्यता अवधारित की जाती है जिसके बाद वे अपने सामान्य जीवन की गतिविधियों में वापसी कर सकते हैं।

एक्सेन्टरेशन के बाद, रोगी को उनके चिकित्सा सर्जन द्वारा सलाह दी गई आदेशों और आश्वास्त्य संबंधी निर्देशों का पालन करना चाहिए। इसमें उनकी पोषण आवश्यकताओं की देखभाल, उपयुक्त दवाओं का उपयोग, शस्त्रक्रिया की स्थिति का मूल्यांकन, सुखाने के विधान, रासायनिक पदार्थों से बचाव, विश्राम, स्वस्थ वजन बनाए रखने की जरूरत, और आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं का प्राप्त करना शामिल हो सकता है।

इसके साथ ही, चिकित्सा सर्जन द्वारा निर्दिष्ट रेगुलर फॉलोअप चेकअप और वार्ड या उपयुक्त स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करना चाहिए। रेड फ्लैग संकेतों (जैसे कि तीव्र दर्द, अत्यधिक ब्लीडिंग, संक्रमण के लक्षण, बहुत ज्यादा स्वेलिंग, या उन्हें चिंता का कारण बनने वाले किसी अन्य लक्षण) पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें तत्काल चिकित्सा सेवा प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।

इस प्रक्रिया के बाद, रोगी को शरीरिक और मानसिक रूप से धीमी गति से फिटनेस प्रोग्राम शुरू करना चाहिए, जिसमें प्रशिक्षण, योग, व्यायाम और आपूर्विक योगाभ्यास शामिल हो सकते हैं। यह शरीर को मजबूत और सुचारू रूप से विकसित करने में मदद करेगा। तत्पश्चात, खानपान में स्वस्थ आहार के प्रति ध्यान देना चाहिए, जिसमें पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन, पर्याप्त पानी पीना, और सुखाने के उपाय शामिल हो सकते हैं।

इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य को भी महत्व देना चाहिए। रोगी को तनाव कम करने के तकनीकों, ध्यान और मेडिटेशन के माध्यम से मानसिक शांति बनाए रखने के लिए सलाह दी जा सकती है। इसके साथ ही, सहयोगी समर्थन संगठनों और समुदायों से संपर्क स्थापित करना चाहिए, जहां रोगी अन्यों के साथ अनुभव और समर्थन बांट सकते हैं।

अंततः, पूर्ण पेल्विक निकास के बाद, रोगी को संतुलित और स्वस्थ जीवनशैली के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। समय-समय पर चिकित्सा जांच के लिए जाना चाहिए और यदि कोई दिक्कतें या संकेत उत्पन्न होते हैं, तो तत्काल चिकित्सा सेवा प्रदाता की सलाह ली जानी चचाहिए। अगर किसी नई समस्या या असामान्य लक्षण का सामना होता है, तो रोगी को जल्दी से चिकित्सा सेवा प्रदाता के पास जाना चाहिए।

साथ ही, संगठनों और समुदायों के साथ संपर्क बनाए रखने का यह भी महत्वपूर्ण है कि रोगी अपने अनुभवों को साझा करें और दूसरों की सहायता के लिए उपलब्ध विभिन्न संसाधनों का लाभ उठाएं।

सम्पूर्ण पेल्विक निकास एक चिकित्सा प्रक्रिया है और इसके बाद उचित उपचार, देखभाल और सुविधाओं का पालन करना आवश्यक होता है। रोगी को अपने चिकित्सा सर्जन की सलाह और निर्देशों का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाता है ताकि उन्हें शीघ्रतापूर्वक स्वास्थ्य और रिकवरी की प्राप्ति हो सके। 
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