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लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के मरीजों में डीप वेन थ्रोम्बोसिस के जोखिम को कम करना
जनरल सर्जरी / Jan 25th, 2024 9:24 am     A+ | a-
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के मरीजों में डीप वेन थ्रोम्बोसिस के जोखिम को कम करना

परिचय:

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी आजकल विभिन्न चिकित्सा समस्याओं के संपर्क में एक प्रमुख उपचार रूप बन चुकी है। इस तकनीक के उपयोग से अनेक चिकित्सा प्रक्रियाएं सरल और कम आघातकारी बन गई हैं। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के मरीजों में डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Deep Vein Thrombosis - DVT) के जोखिम को कम करना महत्वपूर्ण है। यहां हम इस विषय पर विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे, जिससे यह स्पष्ट होगा कि लेप्रोस्कोपिक सर्जरी कैसे इस जोखिम को कम कर सकती है और इसमें कौन-कौन सी चुनौतियां हो सकती हैं।

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के मरीजों में डीप वेन थ्रोम्बोसिस के जोखिम को कम करना

डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) का अर्थ:

डीप वेन थ्रोम्बोसिस एक स्थिति है जिसमें रक्त वाहिनियों की गहरी परतों में रक्त के थिकड़े बन जाते हैं। यह समस्त शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है, लेकिन अक्सर पैरों में होता है। यदि इन थिकड़ों का टूटना हो जाए तो वे रक्त वाहिनियों के माध्यम से अन्य स्थानों पर चले जाते हैं, जिससे गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि पल्मोनरी एम्बोलिज़म (Pulmonary Embolism)।

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में डीप वेन थ्रोम्बोसिस के जोखिम का कारण:

लंबी समय तक बैठे रहना (Prolonged Sitting):

लंबी समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहने से पैरों की रक्त वाहिनियों में दबाव बढ़ता है, जिससे डीप वेन थ्रोम्बोसिस का खतरा बढ़ जाता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के मरीजों को अधिकतम समय तक बैठे रहने की आवश्यकता होती है, जिससे यह जोखिम और बढ़ जाता है।

शल्य चिकित्सा से जुड़े जोखिम:

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के दौरान, मरीजों को कुछ समय तक एक ही स्थिति में रहना पड़ता है, जिससे उनकी गति कम होती है और डीप वेन थ्रोम्बोसिस का खतरा बढ़ता है। शल्य चिकित्सा में सावधानी बरतना और इससे जुड़े जोखिमों का सही से परिचय करना महत्वपूर्ण है।

आम जनरल अनेसथेशिया:

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में आम जनरल अनेसथेशिया का उपयोग होता है, जिससे मरीजों की श्वासनली ठंडी होती है और उनकी गति कम हो जाती है। इससे भी डीप वेन थ्रोम्बोसिस का खतरा बढ़ता है।

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में डीप वेन थ्रोम्बोसिस के जोखिम को कम करने के उपाय:

गति बनाए रखना (Maintaining Mobility):

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के मरीजों को हर एक घंटे में कुछ समय तक चलने की अनुमति देना चाहिए। यह उनकी रक्त वाहिनियों को सक्रिय रखने में मदद करेगा और डीप वेन थ्रोम्बोसिस के जोखिम को कम करेगा।

कंप्रेशन स्टॉकिंग्स का उपयोग:

मरीजों को शल्य चिकित्सा के बाद कंप्रेशन स्टॉकिंग्स पहनना चाहिए। ये स्टॉकिंग्स रक्त वाहिनियों को दबाव में बना रखने में मदद करते हैं और डीप वेन थ्रोम्बोसिस के खतरे को कम कर सकते हैं।

हाइड्रेशन का ध्यान रखना:

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद मरीजों को पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। यह उनकी रक्त संचरण को बनाए रखने में मदद करेगा और डीप वेन थ्रोम्बोसिस के जोखिम को कम करेगा।

एक्टिव पल्स डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Active Pulse DVT) स्क्रीनिंग:

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के मरीजों को ऑपरेटिव सीधे दिन के अंत में एक्टिव पल्स डीप वेन थ्रोम्बोसिस स्क्रीनिंग करनी चाहिए। इससे डीप वेन थ्रोम्बोसिस की जल्दी से पहचान हो सकती है और उपयुक्त उपचार का आरंभ किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के माध्यम से चिकित्सा क्षेत्र में नए दौर का आरंभ हो गया है, जो रोगी को तकलीफ़ से मुक्त करने में मदद कर सकता है। हालांकि, इसमें कुछ जोखिम हो सकते हैं, जिनमें से एक है डीप वेन थ्रोम्बोसिस। इस जोखिम को कम करने के लिए उचित सावधानी और उपायों का पालन करना महत्वपूर्ण है। चिकित्सक की मार्गदर्शन में, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से जुड़े मरीजों को सही दिशा में बढ़ाने में सहायक हो सकती है और उन्हें सुरक्षित रूप से ठीक करने में मदद कर सकती है।
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