सारे पुराने अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों की शुचि
::
(ध). लैपरोस्कोपिक सर्जरी द्वारा आंतो की बिमारियों का आपरेशन
न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी कैसे की जाती है?
सर्जन न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी करने के लिए कई अलग अलग तकनीकों का उपयोग कर सकते हैं। इन सभी तकनीकों का लक्ष्य पेट में बड़े चीरे की आवश्यकता को दूर करके दर्द में कमी लाना और तेज़ रिकवरी करना है। सभी न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी एक सामान्य एनेस्थेटिक के साथ मरीज को निद्रावस्था में रखकर की जाती है। नीचे सूचीबद्ध सभी तकनीकों को "न्यूनतम इनवेसिव" माना जाता है लेकिन अपने अपने फायदे और नुकसान में कुछ भिन्न हैं। सभी में उन्नत तकनीकी कौशल और विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है। सर्जनों को अक्सर दूसरों की तुलना में कुछ तकनीकों के साथ अधिक अनुभव होता है और वे आप के साथ आपके ऑपरेशन के लिए प्रस्तावित विशिष्ट तकनीक की चर्चा कर सकते हैं।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की एक तकनीक है जिसमे सर्जन एक ही बड़े चीरे के बजाय करीब ½ इंच के कई छोटे चीरे बनाता है। ज्यादातर कोलन और रेक्टल ऑपरेशन के लिए 3-5 चीरों की जरूरत होती है। छोटी ट्यूबें जिन्हें "ट्रोकार" कहा जाता है, उन्हें इन चीरों के ज़रिये पेट में रखा जाता है। सर्जन को काम करने की जगह देने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड गैस पेट को फुलाने में प्रयोग की जाती है। इससे सर्जन को एक पतले धातु के टेलीस्कोप (जिसे लेप्रोस्कोप कहा जाता है) से जुड़े एक कैमरे का इस्तेमाल करने में सहायता मिलती है जिससे उसे ऑपरेटिंग कमरे के मॉनिटर पर पेट के अंदर का वर्धित दृश्य दिखाई देता है। सर्जन के हाथ और पारंपरिक शल्य उपकरणों की जगह लेने के लिए, सर्जन के लिए ट्रोकार से गुजरने के हेतु विशेष उपकरण विकसित किये गए हैं। आंत को विभाजित करने और फिर से जोड़ने के लिए सर्जिकल स्टैपलिंग उपकरण और टिश्यू एवं रक्त वाहिकाओं को काटने एवं दागने के लिए ऊर्जा उपकरण भी लेप्रोस्कोपिक उपयोग के लिए अनुकूलित किये गए हैं। ज्यादातर ऑपरेशन में पेट से टिश्यू (जिसे कभी कभी "नमूना" कहा जाता है) हटाने के लिए थोड़ा बड़ा चीरा (2-4 इंच लंबाई में) किया जाना चाहिए।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की एक तकनीक है जिसमे सर्जन एक ही बड़े चीरे के बजाय करीब ½ इंच के कई छोटे चीरे बनाता है। ज्यादातर कोलन और रेक्टल ऑपरेशन के लिए 3-5 चीरों की जरूरत होती है। छोटी ट्यूबें जिन्हें "ट्रोकार" कहा जाता है, उन्हें इन चीरों के ज़रिये पेट में रखा जाता है। सर्जन को काम करने की जगह देने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड गैस पेट को फुलाने में प्रयोग की जाती है। इससे सर्जन को एक पतले धातु के टेलीस्कोप (जिसे लेप्रोस्कोप कहा जाता है) से जुड़े एक कैमरे का इस्तेमाल करने में सहायता मिलती है जिससे उसे ऑपरेटिंग कमरे के मॉनिटर पर पेट के अंदर का वर्धित दृश्य दिखाई देता है। सर्जन के हाथ और पारंपरिक शल्य उपकरणों की जगह लेने के लिए, सर्जन के लिए ट्रोकार से गुजरने के हेतु विशेष उपकरण विकसित किये गए हैं। आंत को विभाजित करने और फिर से जोड़ने के लिए सर्जिकल स्टैपलिंग उपकरण और टिश्यू एवं रक्त वाहिकाओं को काटने एवं दागने के लिए ऊर्जा उपकरण भी लेप्रोस्कोपिक उपयोग के लिए अनुकूलित किये गए हैं। ज्यादातर ऑपरेशन में पेट से टिश्यू (जिसे कभी कभी "नमूना" कहा जाता है) हटाने के लिए थोड़ा बड़ा चीरा (2-4 इंच लंबाई में) किया जाना चाहिए।