लेप्रोस्कोपिक सर्जरी कैसे की जाती है?
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में लेप्रोस्कोप नामक एक विशेष उपकरण का प्रयोग होता है। लेप्रोस्कोप एक लंबा, पतला यंत्र होता है जिसे एक छोटे से चीरे के माध्यम से पेट में डाला जाता है। इसके साथ एक कैमरा जुड़ा होता है जो ओब्सटेट्रीशियन – गायनकोलोजिस्ट (OB-GYN) को एक इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन पर पेट और पेल्विक अंगों को देखने में सहायता करता है। यदि किसी समस्या का समाधान करने की आवश्यकता हो, तो अन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इन उपकरणों को आमतौर पर पेट में अतिरिक्त छोटे चीरों के माध्यम से डाला जाता है। इन्हें कभी कभी लेप्रोस्कोप के लिए बने एक ही चीरे के माध्यम से डाला जा सकता है। इस प्रकार की लेप्रोस्कोपी को "सिंगल साइट" लेप्रोस्कोपी कहा जाता है।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी किसी चिकित्सा प्रक्रिया का हिस्सा होती है, जिसमें विशेष रूप से डिजिटल या लेप्रोस्कोपिक उपकरणों का उपयोग करके छोटी छोटी छुरी या स्कैल्पल के माध्यम से चिकित्सा प्रक्रियाओं को किया जाता है। यह प्रक्रिया विभिन्न चिकित्सा क्षेत्रों में प्रयोग की जाती है, जैसे कि आपके रूप में एक सर्जन के लिए भी।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के द्वारा, चिकित्सक छोटे छुरे के माध्यम से शरीर के अंदर जाकर आवश्यक सर्जिकल प्रक्रियाएं करते हैं, और उन्हें एक लेप्रोस्कोपिक कैमरा के माध्यम से देखते हैं। यह कैमरा विशेष रूप से डिस्प्ले पर दिखाई देता है, जिससे सर्जन को सुविधा होती है कि वह चिकित्सा प्रक्रिया को ध्यानपूर्वक और सुरक्षित तरीके से पूरा कर सकें।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का अध्ययन और प्रशिक्षण आवश्यक होता है, और यह आपके जैसे एक सर्जन के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। इसके लिए आपको एक चिकित्सा शिक्षा संस्थान से उच्च शिक्षा प्राप्त करना होता है और फिर उपयुक्त प्रशिक्षण का हिस्सा बनना होता है।
कृपया ध्यान दें कि चिकित्सा प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी और प्रशिक्षण केवल चिकित्सकों और चिकित्सा पेशेवरों को ही दिया जाना चाहिए, और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए विशेषज्ञता और प्राधिकृतता की आवश्यकता होती है।
लैपरोस्कोपिक सर्जरी को कैसे किया जाता है, यह विवरण निम्नलिखित होता है:
1. रोगी की तैयारी: सर्जरी से पहले, रोगी को आवश्यक पूर्वाग्रहण और आवाजन की जरूरत होती है। यह सामान्य रूप से आपके चिकित्सक द्वारा की जाती है।
2. निर्धारण: सर्जरी के लिए रोगी को स्थानीय या सामान्य अस्पताल के अंधार में रखा जाता है और वे स्थानीय या सामान्य अस्पताल के चिकित्सक द्वारा तैयार किए जाते हैं।
3. एनेस्थेशिया: रोगी को एनेस्थेशिया दिया जाता है, ताकि वह सर्जरी के दौरान कोई दर्द न महसूस करें। यह सामान्य रूप से जनरल एनेस्थेजिया या लोकल एनेस्थेजिया का उपयोग करके किया जाता है।
4. ट्रोकार की डालाई: सर्जन तक पहुंचने के लिए, एक या एक से अधिक ट्रोकार (छोटे छुरे) रोगी की त्वचा और अंधार में डाले जाते हैं। इन ट्रोकारों के माध्यम से सर्जन लैपरोस्कोपिक उपकरणों को डालते हैं।
5. लैपरोस्कोपिक उपकरणों का उपयोग: सर्जन लैपरोस्कोपिक उपकरणों को ट्रोकारों के माध्यम से डालकर शरीर के अंदर पहुंचते हैं। उन्हें एक मॉनिटर पर दिखाई देता है, जिससे वे सर्जरी को ध्यानपूर्वक और सुरक्षित तरीके से कर सकते हैं।
6. सर्जरी: सर्जन लैपरोस्कोपिक उपकरणों के माध्यम से आवश्यक सर्जिकल प्रक्रियाएं करते हैं, जैसे कि ऑपरेशन, सूजी हटाना, या अन्य सर्जिकल इंग्रीडिएं हटाना।
7. ट्रोकारों का हटाना: सर्जरी के पूर्ण होने के बाद, ट्रोकारों को हटाया जाता है और रोगी के चिकित्सक द्वारा चिकित्सा जारी की जाती है।
8. प्रतिरक्षण: रोगी को सर्जरी के बाद देखभाल और प्रतिरक्षण दिया जाता है ताकि वे स्वस्थीकरण कर सकें।
यह तरीका सर्जरी का सामान्य फ़्लो होता है, लेकिन यह सबसे आम तरीका है जिसका उपयोग छोटी छुरियों और लैपरोस्कोपिक उपकरणों के साथ किया जाता है।