पित्त की पथरी- हल्के में न लें इसे लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॅमी (दूरबीन द्वारा आपरेशन)
General / Feb 1st, 2019 12:45 pm     A+ | a-
पित्त की पथरी- हल्के में न लें इसे लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॅमी (दूरबीन द्वारा आपरेशन)


पित्त की थैली में पथरी(गॉल ब्लैडर स्टोन) का होना एक आम स्वास्थ्य समस्या है। पित्त की थैली पेट के दाएं ऊपरी भाग में लिवर के ऊपर चिपकी होती है। इसमें लिवर से बनने वाले एंजाइम संचित होते हैं।
 पथरी बनने के मुख्य कारण
- समय पर ख्राना न खाने से थैली लंबे समय तक भरी रहती है और पाचक रस का पित्त की थैली में जमाव शुरू हो जाता है, जो धीरे- धीरे पथरी का रूप ले लेता है।
- इंफेक्शन की वजह से पाचक रस गाढ़े हो जाते हैं और कालांतर में पथरी का रूप ले लेते हैं।
-पित्त में कोलेस्टेरॉल की मात्रा अधिक होने से मोटापे से ग्रस्त होने वाली महिलाओं में पित्त की पथरी होने की
संभावना अधिक होती है।
लक्षण
इस रोग के प्रमुख लक्षण पेट में जलन और गैस बनना, भूख कम लगना, खून की कमी और पेट में दर्द होना हैं।
जटिलताएं
1. तीव्र संक्रमण:- पित्त की थैली के रास्ते में जब पथरियां आकर फंस जाती हैं तो थैली में भयंकर संक्रमण हो जाता है और व्यक्ति के पेट में तीव्र दर्द होता है। इसके अलावा पीलिया व पेन्क्रियाटाइटिस आदि समस्याएं पैदा हो जाती हैं।
2. निदान:- अल्ट्रासाउंड, एम.आर.सी.पी.और ई.आर.सी.पी. प्रमुख जांचें हैं।
उपचार
1. दवाओं से इलाज:- पीलिया और दर्द का इलाज दवाओं से किया जाता है। अगर पथरी बनने की शुरुआत हो और पथरी के छोटे-छोटे कण हों, तो पाचक रस के स्राव को बढ़ाने वाली कुछ दवाएं देकर चिकित्सा की जाती है।
2. सर्जरी :- अगर पथरी के कारण बार -बार दर्द हो, तो ऑपरेशन जरूरी हो जाता है। ऑपरेशन की विधि चाहे कोई भी हो, पित्त की थैली को पथरी समेत निकाल दिया जाता है। थैली को निकाल देने से व्यक्ति की पाचन क्रिया में कोई कमी नहीं आती।
सर्जरी की विधियां
1. ओपेन कोलेसिस्टेक्टॅमी:-इस तकनीक में पेट के दाएं ऊपरी भाग पर
दो से पांच इंच का चीरा लाकर पेट को खोला जाता है और पित्त की थैली को निकाल दिया जाता है।
2. लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॅमी (दूरबीन द्वारा आपरेशन) :- यह विधि आजकल पित्त की थैली के ऑपरेशन के लिये सबसे ज्यादा प्रचलित व सफल विधि है।
पित्त की थैली में पथरी(गॉल ब्लैडर स्टोन) का होना एक आम स्वास्थ्य समस्या है। पित्त की थैली पेट के दाएं ऊपरी भाग में लिवर के ऊपर चिपकी होती है। इसमें लिवर से बनने वाले एंजाइम संचित होते हैं। सर्जरी की विधियां 1. ओपेन कोलेसिस्टेक्टॅमी:-इस तकनीक में पेट के दाएं ऊपरी भाग पर दो से पांच इंच का चीरा लाकर पेट को खोला जाता है और पित्त की थैली को निकाल दिया जाता है। 2. लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॅमी (दूरबीन द्वारा आपरेशन) :- यह विधि आजकल पित्त की थैली के ऑपरेशन के लिये सबसे ज्यादा प्रचलित व सफल विधि है। https://www.laparoscopyhospital.com/a...
 
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